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चिराग पासवान |
नई दिल्लीः देश में लेटरल एंट्री पर बहस छिड़ने के बाद में यूपीएससी ने लेटरल एंट्री से होने वाली नियुक्ति का प्रस्ताव रद्द कर दिया है। सरकार के इस फैसले का केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एससी-एसटी लोगों की चिंताओं को पीएम मोदी के सामने उठाया है।
पासवान ने कहा कि मैं अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की तरफ से लेटरल एंट्री को रद्द के लिए अपने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं। इस सरकार ने एक मिसाल कायम की है। उम्मीद है कि भविष्य की सरकारें भी जनता की भावनाओं के लिए इसी तरह की संवेदनशीलता दिखाएंगी। चिराग पासवान ने कहा कि जब से यह मुद्दा मेरे संज्ञान में आया है तो मैंने इसे अधिकारियों के सामने उठाया है। मैंने इस मुद्दे पर एससी-एसटी और पिछड़े लोगों की चिंताओं को प्रधानमंत्री के सामने भी रखा है। पिछले डेढ़ दो दिन में मैंने उनको तैयार कर पीएमओ में भी भेजने का काम किया।
क्या था पूरा विवाद
17 अगस्त को यूपीएससी ने सीनियर अधिकारियों की नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें पदों की संख्या 45 थी। ये पद लेटरल एंट्री से भरे जाने थे। यानी ये यूपीएससी की ज्यादातर भर्ती परीक्षाओं की तरह एंट्री लेवल पर न होकर सीधे उच्च पदों में भर्ती के लिए हैं। 45 पदों में 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक और उप-सचिव के पद थे। इनकी नियुक्तियां केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में की जाएंगी। लेटरल एंट्री के इन पदों का नोटिफिकेशन आते ही विवाद छिड़ गया था। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार लेटरल एंट्री के जरिये रिजर्वेशन की अनदेखी कर रही है। इसके बाद आज विज्ञापन को रद्द कर दिया गया है।